एक एबले की डाय़री . # एबलेकीविदेसयात्रा . ऐबला चला दुबई : चौथी एवम अंतिम क़िस्त ( गतांक से और थोड़ा अग्गे ) . तो भिया दूसरे दिन सूबे उठ के नित्य कर्मो से फारिग हो के अपन बिरेकफ़ास्ट कन्ने गए, वा पे १० हज्जार टाइप के आयटम धरे थे पर अपने काम के नी थे, कई भी पोये, जलेबी या कचोरी नी थी, एक जिगो पे उसल जैसा कुछ रखा था तो मैंने सोचा पोये भी आस पास ही होंगे पर वो नी थे और वो जो रखा था वो भी उसल नी थी कुछ भलताई था, खैर अपन ने अपनी मॉडर्न की समझ के ब्रेड खा ली और थोड़े आमलेट सलटा दिए, . और फिर निकल पड़े " मोदी के मतवाले राही " आज के सफर पर ( भिया इसका सम्बन्ध अपने प्रधानमंत्री जी से नहीं है, जिनको ये समझ में नहीं आया या तो उनने बचपन में रेडिओ ढंग से नी सुना या फिर उनकी उम्र कम है ) तो बाबा अपन भोत सारी जिगो पे घूमे उनमे से तीन जिगो अपने को तिरिभिन्नाट लगी वो या पे पेल रिया हु . १) २४ घंटे वाला सुपर मार्केट : इसका नाम शायद चोइथराम था भिया पर अपने या पे इस नाम का एक इस्कूल है और इस्कूल के नाम से ही अपने डर लगता है इसलिए अपन इसका नाम नी लेंगे, इसकी दो बातें अपने को जमी भि...
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एक एबले की डाय़री . # एबलेकीविदेसयात्रा . ऐबला चला दुबई : तीसरी क़िस्त ( गतांक से अग्गे ) . तो भिया दूसरी किश्त में आप ये पढ़ के खुस हो लिए की आपका भई बगैर खाये " पिए " दुबई पोच गया, वा का हवाई अड्डा देख के अपन भेरू हो गए पेलवान, जने का का से हवाई झाज आ रिये थे और जने का का जा रिये थे, इत्ते फिरंग घूम रिये थे बाबा की उन सबके बिच में मेरेको ऐसा लगा जैसे भोत सारे केक, पेस्ट्री, डोनट, सेंडविच, सासेजेस और बेकन के बिच में कचोरी फस गयी हो, . तो भिया वा से अपन कंपनी की बस से होटल पोचे, ( अब आपस की बात है इसलिए बितला रिया हु की आपका भई ५ इश्टार होटल में भी पेली चक्कर ही गया था ) तो बाबा अपन होटल पोच गए और अपने को एक कमरा अलाट हो गया, . होटल में आपके भाई को " जुड़वाँ साझेदारी " ( कुछ लोग इसको हिंदी में ट्विन शेरिंग भी बोलते है ) में रहना था, अब दूसरे भिया जो थे वो दूसरे दिन आने वाले थे तो पेले दिन अपन एकेले ही थे पुरे के पुरे कमरे में, सुरु सुरु में तो बढ़िया लगा बाबा सब आयटम हल्लू - हल्लू चेक कल्लीये और फिर खाना खाने गए, . यकीं मानना पेलवान खाने के आयटमो में से ९० % को तो अपन...
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एक एबले की डाय़री . # एबलेकीविदेसयात्रा . ऐबला चला दुबई : दूसरी क़िस्त . तो भिया ये अपनी पेली विदेस यात्रा थी, जाने के पेले तक अपन कभी हवाई झाज में नी बैठे थे, ये पेला चक्कर था कंपनी की क्रिपा से, तो अपन भेंकर टेंसन में थे, तैयारी तो भिया जैसे तैसे हो ही गयी थी, धन की जुगाड़ भी कल्ली थी, बात घूम - फिर के यहीं अटकरी थी की हवाई झाज में कैसे होगा, . बाबा जो आदमी बस और टिरेन के अग्गे कई गया नी हो तो वो तो दुजेगा न, मतलब टेंसन ये था की टिरेन ज्यादा से ज्यादा पटली से उतर जाएगी या बस कही टकरा जाएगी लेकिन हवाई झाज ऊपर से गिरेगा तो क्या होगा, और भिया दूसरी आफत ये की आप किसी को बोल भी नी सकते बेइज्जती ख़राब होने का डर होता है, . अपने को तो ये भी नी मालम की हवाई अड्डे पे जा के क्या पूछना है ? किससे पूछना है ? और कैसे पूछना है ? यार मतलब अंग्रेजी में भी तो हाथ तंग था नी, अब कोई सरवटे बस स्टेण्ड तो है नी की की किसीसे भी पुछलो की " भिया खाचरोद जाने वाली बस किधर मिलेगी " और कोई भी बंदा गुटके की पीक मार के बोल देगा की " आप एक काम करो भिया ५ लंबर पे देख लो वई पे होगी "...
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एक एबले की डाय़री . # एबलेकीविदेसयात्रा . ऐबला चला दुबई : पेली क़िस्त . भिया ये २० साल पुरानी बात है, आजकल तो बारीक छोरे - छारीहोंन भी एकेले योरप घूम के आते है ( DDLJ के बाद से अपन भी यूरोप को योरप ही बोलते है ) . तो अपन का दुबई जाने का नक्की हुवा अब भिया अपन खरगोन / बड़वानी भी जाना हो तो भेंकर तैयारी करते है या तो एकदम दुबई जाने का चांस था, पेले फर्स्ट पासपोर्ट के लिए आवेदन किया और चल्लू हो गयी भिया तैयारी ज़माने भर की, चड्डी बनियान से लेके सब कुछ नया एकदम चकाचक, इत्ती तैयारी तो शादी में भी नी की थी, . शादी पे से याद आया घरवाली अलग माथे होरी थी की तुम्हारी कंपनी से बोलो की दोई को भेजो, अब भिया मैंने समझाया की वा पे मीटिंग है कोई सत्तनारायण की कथा थोड़ेई है जो " जोड़े " से जायेंगे, पर भिया वो तो माने नी की तुमको बात करने में क्या हो रिया है, खैर उसको जैसे तैसे समझाया ( २ साडी और ५ बार सराफे जाने का इन्वेस्टमेंट करना पड़ा और दुबई से गिफ्ट लाने का वादा अल्लग ) . इधर अपने घर वालो ने मोहल्ले में ऐसा समां बाँधा जैसे दुबई के शेख भिया दुबई मेरे नाम करने वाले है और मैं भी वो...