एक एबले की डाय़री 

#एबलेकीविदेसयात्रा 
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ऐबला चला दुबई : पेली क़िस्त 
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भिया ये २० साल पुरानी बात है, आजकल तो बारीक छोरे - छारीहोंन भी एकेले योरप घूम के आते है ( DDLJ के बाद से अपन भी यूरोप को योरप ही बोलते है )
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तो अपन का दुबई जाने का नक्की हुवा अब भिया अपन खरगोन / बड़वानी भी जाना हो तो भेंकर तैयारी करते है या तो एकदम दुबई जाने का चांस था, पेले फर्स्ट पासपोर्ट के लिए आवेदन किया और चल्लू हो गयी भिया तैयारी ज़माने भर की, चड्डी बनियान से लेके सब कुछ नया एकदम चकाचक, इत्ती तैयारी तो शादी में भी नी की थी,
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शादी पे से याद आया घरवाली अलग माथे होरी थी की तुम्हारी कंपनी से बोलो की दोई को भेजो, अब भिया मैंने समझाया की वा पे मीटिंग है कोई सत्तनारायण की कथा थोड़ेई है जो " जोड़े " से जायेंगे, पर भिया वो तो माने नी की तुमको बात करने में क्या हो रिया है,
खैर उसको जैसे तैसे समझाया ( २ साडी और ५ बार सराफे जाने का इन्वेस्टमेंट करना पड़ा और दुबई से गिफ्ट लाने का वादा अल्लग )
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इधर अपने घर वालो ने मोहल्ले में ऐसा समां बाँधा जैसे दुबई के शेख भिया दुबई मेरे नाम करने वाले है और मैं भी वो सुफेद लबादा पैर के ऊपर से कुकर की रिंग लगा के तेल के कुवे में बाल्टी डाल के तेल हेडुवा, मतलब गली - मोहल्ले में जिसको देखो वो अपने को पेल रिया है,
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दिनु भिया की पोये की दूकान पे जाओ या बांडे पेलवान के या गुटका बंधवाने सब जगे लोग चल्लू " वा यार भिया मैने सुना तू दुबई जा रिया है ! अपने लिए भी ले आना एकाध सोने की चेन " जैसे मैंने स्मगलिंग चालू करदी है और जाने के पेले ऑर्डर इकठ्ठा कर रिया हु,
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२ - ३ बार चक्कर काटने के बाद एबले का पासपोर्ट आ गया और बाकी तैयारी भी हो गयी एक स्पेसल पेंट भी सिलवायी " चोर कप्पे " के साथ नगदी रखने के लिए , घर वालों ने अब तक ४० हज्जार बार बोल दिया था वा पे बावले जैसा मत घूमना, पैसे कोड़ी संभल के रखना, परदेस में जा रिया है वा पे कोई अपने पेचान का भी नी है,
माँ ने मठरी, लड्डू जैसे आयटम नी नी करते २ कुंटल तो बना ही दिए होंगे वो अलग नी मान री थी की वा पे खायेगा क्या मेरा लाल और उसका दूसरा टेंसन ये की छोरा वापस आएगा की नी !!
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क्रमशः
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~अbhay

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